पर्यटन का महत्व पर निबंध लिखें / paryatan ka mahatva per nibandh likhen
(ग) पर्यटन का महत्त्व
हम एक स्थान पर रहते-रहते ऊब जाते हैं। हमारी इच्छा होती है कि हम दूसरे स्थानों पर जाएँ और वहाँ घूम-फिरकर मनोरंजन करें। ‘पर्यटन’ का शाब्दिक अर्थ होता है—घूमना-फिरना, इधर-उधर भ्रमण करना, यात्रा करना।
पर्यटन शिक्षा के लिए बहुत आवश्यक है। हम पुस्तकों में लिखे पर्वत, झील, समुद्र तथा ऐतिहासिक स्थलों के वर्णन पढ़ते हैं, पर इनके प्रत्यक्ष संपर्क के अभाव में हम इनसे भलीभाँति परिचित नहीं हो पाते। धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के वर्णन हम पुस्तकों में खूब पढ़ते हैं, पर उन्हें प्रत्यक्षतः देखने का आनंद ही दूसरा होता है।
प्राचीन काल में भारत में पर्यटन का बहुत महत्त्व था। महर्षि नारद और परशुराम का लोकभ्रमण हिंदू धर्मग्रंथों में वर्णित मिलता है। बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए बौद्ध भिक्षुक दक्षिण-पूर्व एशिया के सुदूर देशों तक गए थे। दूसरे देशों से भी अनेक पर्यटक भारत आए थे। इनमें ह्वेनसांग, फाह्यान और इब्नबतूता के नाम उल्लेखनीय हैं।
पर्यटन ज्ञान प्राप्ति के सर्वोत्तम साधन हैं। पर्यटन करनेवाले व्यक्ति कष्टसहिष्णु (कष्ट सहने की क्षमता वाले) होते हैं। उनकी क्षुद्र स्वार्थ भावना समाप्त हो जाती है। उनके जीवन में नियमितता, धैर्य, दृढ़ता, साहस, परोपकार, जनकल्याण तथा उदारता का विकास होता है। पर्यटन से ज्ञान-प्राप्ति के साथ मनोरंजन की भी प्राप्ति होती है। मनोरंजन से शरीर और मन स्वस्थ होते हैं। पर्यटन के समय व्यक्ति घर-परिवार की चिंताओं से मुक्त होकर आत्मिक विकास के शुभ अवसर प्राप्त करते हैं। पर्यटन से हमारे ज्ञान की संकीर्णता दूर होती है। हम विभिन्न जातियों, वर्णों, संस्कृतियों और सभ्यताओं के प्रत्यक्ष संपर्क में आते हैं। इससे हमें आत्मविश्लेषण के अवसर प्राप्त होते हैं। पर्यटन में कुछ कष्ट तो अवश्य होता है, पर इससे प्राप्त होनेवाले आनंद और ज्ञान की तुलना में यह (कष्ट) नगण्य है।
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