कड़वक चैप्टर का सारांश kadbak chapter class 12th hindi saransh

1.कड़बक – मलिक मोहम्मद जायसी

कड़वक चैप्टर का सारांश kadbak chapter class 12th hindi saransh

 

कवि मलिक मुहम्मद जायसी कड़बक के प्रथम खंड में कहते है कि वह एक नैन के होते हुए भी गुणवान है। उनकी कवि-वाणी में वह प्रभाव है कि जो भी उनकी काव्य को सुनता है वह मोहित हो जाता है। कवि कहते है कि जिस प्रकार ईश्वर ने संसार में चन्द्रमा को बनाया हैं, लेकिन उसे कलंकित कर दिए। उसी प्रकार प्रकार जायसी की कीर्ति उज्जवल थी लेकिन उनमें अंग-भंग दोष था। कवि कहते उन्होंने संसार को हमेशा एक ही आंख से देखा। उनका वह आँख दुसरे मनुष्यों के आँखों के तुलना में ठीक उस प्रकार तेज था जिस प्रकार तारागण के बीच उदित हुआ शुक्रतारा | कवि कहते है कि जब तक आम के मंजरी में डाम्भ नहीं होता तब तक उसमें मधुर सुगन्ध नहीं होता | समुन्द्र का पानी खारा है इसलिए ही वह असूझ और अपार है। सुमेरु पर्वत के स्वर्णमय होने का एकमात्र कारण यही है कि वह शिव-त्रिशूल द्वारा नष्ट किया गया है जिसके स्पर्श से वह सोने का हो गया| जब तक घरिया (सोना गलाने वाला पात्र) में कच्चा सोना गलाया नहीं जाता तब तक वह कच्ची धातु चमकदार सोना नहीं होता | कवि अपने सम्बन्ध में गर्व से लिखते हुए कहते हैं कि वे एक आँख के रहते हुए भी दर्पण के समान निर्मल और उज्जवल भाव वाले हैं। सभी व्यक्ति उनका पैर पकड़कर अधिक उत्साह से उनके मुख की ओर देखा करते हैं यानी उन्हें नमन करते है। कड़बक के दुसरे खंड में कवि कहते है कि मैंने इस कथा को जोड़कर सुनाया है। और जिसने भी इसे सुना उसे प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ। इस कविता को मैंने रक्त की लाइन लगाकर जोड़ा है और गाढ़ी प्रीति को आंसुओं से भिगो-भिगोकर गीली किया है। मैंने यह विचार करके निर्माण किया कि यह शायद मेरे मरने के बाद संसार में मेरी यादगार के रूप में रहे। वह राजा रत्नसेन अब कहां? कहां है वह सुआ जिसने राजा रत्नसेन के मन में ऐसी बुद्धि उत्पन्न की? कहां है सुल्तान अलाउद्दीन और कहां है वह राघव चेतन जिसने अलाउद्दीन के सामने पद्मावती का रूप वर्णन किया। कहां है वह रानी पद्मावती | कोई भी इस संसार में नहीं रहा केवल उनकी कहानियां बाकी बची है। वह पुरुष वह पुरुष धन्य है जिसकी कीर्ति और प्रतिष्ठा इस संसार में है उसी तरह रह जाती है जिस प्रकार उसके मुरझा भी उसका सुगंध रह जाता है। इस संसार में यश ना तो किसी ने बेचा है और ना ही किसी ने खरीदा है। कवि कहते हैं कि जो मेरे कलेजे के खून से रचित कहानी को पढ़ेगा वह हमें दो शब्दों में याद रखेगा।

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