Hindi Class 12th Chapter-3 सम्पूर्ण क्रांति का सारांश
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- सम्पूर्ण क्रान्ति ➡️ जय प्रकाश नारायण
सारांश
प्रस्तुत पाठ में लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा दिया गया ऐतिहासिक भाषण “सम्पूर्ण क्रान्ति” का एक हिस्सा है, जिसे भाषण स्वतंता पुस्तक के रूप में जनमुक्ति पटना से प्रकाशित है जिसे उन्होंने 5 जून 1974 को पटना के गांधी मैदान में दिया था | भाषण को सुनने के लिए लाखों की संख्या में लोग पूरे प्रदेश में आए थे | जिसमें युवाओं का बोलवाला था | जयप्रकाश नारायण जी कहते हैं कि अगर रामधारी सिंह दिनकर जी और रामवृक्ष बेनीपुरी जी होते तो उनकी कविता भारत के नवनिर्माण के लिए क्रांति का कार्य करती लेकिन वे दोनों आज हमारे बीच नहीं है | जयप्रकाश नारायण जी कहते हैं कि यह जिम्मेबारी मैंने मांग के नहीं लिया है, मुझे यह जिम्मेवारी युवापीढ़ी द्वारा सौंपी गई है |
वे कहते हैं कि मैं नाम का नेता नहीं बनूंगा, मैं सब की बात सुनूंगा, लेकिन अंतिम फैसला मेरा होगा | जयप्रकाश नारायण ने अपने भाषण में युवाओं को संकेत देते हुए कहा है कि हमें स्वराज तो मिल गया है | लेकिन सुशासन के लिए मैं भी काफी संघर्ष करने होंगे भाषण के दौरान उन्होंने नेहरू जी का उदाहरण दिया कि नेहरू जी कहते हैं कि सुशासन के लिए देश की जनता को अभी मिलोदूर जाना है | वह आगे कहते हैं कि मेरे भाषण में क्रांति के विचार होंगे जिनपर आपको अमल करना होगा | लाठियां खानी होगी , यह संपूर्ण क्रांति है और वैसे ही जो हमारे भगत से लाना चाहते थे | स्वराज से जनता कराह रही है , भूख महंगाई, और भ्रष्टाचार, रिश्वत, अन्याय आज हमारे देश में फैला हुआ है | शिक्षा पाकर ही व्यक्ति ठोकर खाता हुआ फिर रहा, यहां नारे तो लगते हैं, पर गरीबी हटती नहीं बढ़तें ही चली जाती है | अपने भाषण के दौरान वे अपने छात्र जीवन के बारे में बताते हैं I.S.C की आगे की पढ़ाई के लिए हिंदूस्थान विश्वविद्यालय के बावजूद अमेरिका में पढ़ाई पूरी करनी पड़ी कारण यह था, कि हिंदुस्तान विश्वविद्यालय के फंड से चलता था इसलिए अमेरिका पढ़ाई के दौरान वेटर का काम किया, बर्तन साफ किया लोहे के कारखाने में काम किया, चमड़े के कारखाने में काम किया इतने कठिनाई से अपनी पढ़ाई पूरी की | लेखक ने कई बार महात्मा गांधी और नेहरू जी की भी आलोचना की है लेखक कहते हैं कि आज राजनीति में भ्रष्टाचार बढ़ा है | जिसका प्रमुख कारण चुनावों का खर्चा है आज के लोकतंत्र में जनता को इतना ही अधिकार है कि वह चुनाव करें, परंतु चुनाव के बाद अपने ही प्रतिनिधियों पर जनता का कोई शासन नहीं होता है | लेखक के अनुसार अन्य देशों में प्रेस तथा पत्रिकाएं प्रतिनिधियों पर अंकुश लगाती है लेकिन हमारे देश में इसका बहुत अभाव है जयप्रकाश नारायण जी का भाषण मंत्रमुक्त करने वाला भाषण था |